प्रेरित करने वाला है गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान रवि दहिया का संघर्ष

पिता के सपनों को पूरा करने के लिए बेताब रवि दहिया, घर चल सके इसलिए पहलवानी के साथ खेती भी की
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Ravi dahiya
CWG 2022 कॉमनवेल्थ गेम में भारत को गोल्ड दिलाने वाले पहलवान रवि दहिया का संघर्ष अपने आप में प्रेरणा देने वाला है। कैसे एक किसान के बेटे ने छोटे से गांव से लेकर ओलंपिक तक का सफर तय किया और भारत के लिए मेडल जीते। रवी दहिया का जीवन बेहद कठिनाइयों में बीता है। आइए आपको बताते हैं उनके संघर्ष की कहानी।

सोनीपत.  रवि कुमार दहिया (Ravi Dahiya gold medal) ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों 2022 में गोल्ड मेडल जीत लिया है। फाइनल में उन्होंने अपने नाइजीरियाई प्रतिद्वंद्वी एबिकेवेनिमो वेल्सन को तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर 10-0 से रौंदा। 57 किलोग्राम भारवर्ग में रवि बेहतरीन फॉर्म में नजर आ रहे थे। इससे पहले उन्होंने न्यूजीलैंड के सूरज सिंह और पाकिस्तान के असद अली को तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर हराया । इससे पहले पहलवान रवी दहिया देश के लिए टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक भी जीत चुके हैं। पहलवान रवि दहियाा के जीवन का संघर्ष काफी प्रेरणा दायक है। किस तरह से उन्होंने खेती में अपने पिता का हाथ बढ़ाते हुए ओलंपिक तक का सफर तय किया। आइए जानते हैं उनके जीवन के संघर्ष के बारे में।

Ravidahiya

रवि कुमार दहिया का जन्म 12 दिसंबर 1997 को हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में हुआ था. रवि दहिया के पिता का नाम राकेश दहिया है. रवि दहिया का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उनके पास खुद की कोई जमीन नहीं थी. वह दूसरे के खेतों को किराए पर लेकर खेती करते थे.

10 साल की उम्र में ही रवि कुमार को सतपाल सिंह के साथ ओलंपिक में 2 बार पदक जीत चुके सुशील कुमार के अंडर में रेसिलंग की कोचिंग मिलना शुरू हो गयी थी। रवि कुमार दहिया उस गांव से आते हैं, जहां से देश को कई शानदार रेसलर खिलाड़ी मिले हैं, जिसमें फोगाट बहनें, बजरंग पूनिया, योगेश्वर दत्त जैसे नाम शामिल हैं और इसी कारण इसमें कोई संदेह नहीं कि रवि कुमार शुरू से ही रेसलिंग जाने का फैसला क्यों किया। रवि कुमार को लेकर भले ही अभी उतनी बात ना हुई हो लेकिन उनकी प्रतिभा को देखते हुए वह आने वाले समय के बड़े रेसलिंग स्टार खिलाड़ी जरूर बनेंगे.

साल 2015 में रवि ने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर पदक को अपने नाम पर किया था। इसके बाद साल 2017 में रवि को घुटने के चोट का सामना करना पड़ा जब वह सीनियर नेशनल्स गेम्स में हिस्सा ले रहे थे और सेमीफाइनल तक पहुंच चुके खे लेकिन चोट के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा। जिसके बाद जल्द ही रवि ने फिट होकर शानदार वापसी की.Ravi

साल 2018 में हुई अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में रवि ने सिल्वर पदक अपने नाम पर किया था। इसके अलावा सीनियर नेशनल्स में भी रवि ने दूसरा स्थान हासिल किया था। अपने एंकल में चोट के बावजूद रवि ने सीनियर एशियन चैंपिनशिप में हिस्सा लेते हुए 5 वें स्थान पर खत्म किया था.

इसके बाद रवि कुमार दहिया ने खुद को 57 किलोग्राम वर्ग में एक खिलाड़ी के तौर पर पूरी तरह से स्थापित कर लिया था। रवि ने सीनियर रेसलर खिलाड़ी संदीप तोमर और उत्कर्ष काले को वर्ल्ड चैंपियनशिप के चयन के समय हराया था, जिससे उन्हें टोक्यो ओलंपिक का टिकट भी मिल गया। रवि कुमार दहिया वर्ल्ड चैंपियनशिप में तीसरे स्थान पर, वर्ल्ड अंडर 23 केटेगरी में दुसरे स्थान पर एवं एशियन चैंपियनशिप में पहले स्थान पर रह चुके हैं.

भारतीय रेसलर रवि कुमार दहिया से पूरे देश को खासा उम्मीदें थीं, जिन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में कजाकिस्तान के नूरइस्लाम सानायेव को हराया था भारतीय रेसलर रवि कुमार दहिया को टोक्यो ओलंपिक में 'रजत पदक' के साथ संतोष करना पड़ा. आरओसी के जावुर युगुऐव ने रवि को पुरुषों के 57 किलो वर्ग के फाइनल मुकाबले में मात दी. इसी के साथ भारत ओलंपिक इतिहास में पहली बार कुश्ती में गोल्ड मेडल अपने नाम करने से चूक गया.

रवि पर हुई थी पैसों की बरसात

बीते साल जुलाई-अगस्त में हुए तोक्यो ओलिपिंक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद हरियाणा सरकार ने खजाना खोल दिया था। प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपने दिलेर पहलवान को 4 करोड़ रुपये और क्लास-1 की नौकरी दी थी। साथ ही हरियाणा में अपनी इच्छानुसार प्लॉट खरीदने पर 50% कंसेशन देने की बात भी कही थी.

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