कांस्य पदक विजेता पूजा गहलोत के संघर्ष की कहानी

कॉमनवेल्थ गेम्स में पूजा गहलोत का यह पहला मेडल है! जानिए उनकी उपलब्धियां 
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पहलवान
Commenwealth Games Wrestling Final पूजा गहलोत (48 किलोग्राम) ने सेमीफाइनल में स्कॉटलैंड की पहलवान को हराया. मौजूदा कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का यह दूसरा कांस्य पदक है. इससे पहले दिव्या काकरान ने कांस्य पदक अपने नाम किया था. पूजा का कॉमनवेल्थ गेम्स में यह पहला मेडल है.भारत का यह मौजूदा कॉमनवेल्थ गेम्स में 31वां मेडल हो गया है.आइए जाने उनके संघर्ष की कहानी.

सोनीपत.  महिला पहलवान पूजा गहलोत (Pooja Gehlot) ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games) की कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया है. पूजा ने महिलाओं की (50 किग्रा) फ्रीस्टाइल स्पर्धा के ब्रॉन्ज मेडल मैच में स्कॉटलैंड की लेमोफैक लेचिदजियो को 12-2 (टेक्निकल सुपरियोरिटी) से हराया. भारत का यह मौजूदा कॉमनवेल्थ गेम्स में 31वां मेडल हो गया है. पूजा गहलोत का कॉमनवेल्थ गेम्स में यह पहला पदक है. पूजा 2019 में अंडर-23 चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया था. पूजा सोनीपत के गांव फरमाना से आती हैं. उन्होंने छह साल की उम्र में कुश्ती में कदम रखा. पूजा के चाचा धर्मवीर भी पहलवान थे. शुरुआत में पूजा के पिता कुश्ती के खिलाफ थे. पूजा जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल भी खेल चुकी हैं.

Pooja

पूजा गहलावत का जन्म 15 मार्च 1997 को फरमाना, सोनीपत में हुआ था. उसने कम उम्र से ही खेलों में गहरी रुचि दिखाई. उनके चाचा धर्मवीर सिंह एक पहलवान थे और जब वह लगभग छह साल की थीं, तब उन्होंने पूजा को एक अखाड़े में ले जाना शुरू कर दिया था. हालांकि, उनके पिता विजेंदर सिंह उनके कुश्ती खेलने के खिलाफ थे और पूजा ने वॉलीबॉल खेलना शुरू कर दिया था. वह वॉलीबॉल में जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए गई थी.

हरयाणा की गीता फोगाट और बबीता फोगाट ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए पदक जीते थे, यह देखकर पूजा कुश्ती की तरफ आकर्षित हुई। उसने 2014 में पेशेवर प्रशिक्षण शुरू किया. हालांकि, दिल्ली में जहां उनका परिवार उस समय रह रहा था, वहाँ लड़कियों के लिए कुश्ती अभ्यास केंद्र नहीं था.

जैसे-तैसे उसे दिल्ली में एक प्रशिक्षण केंद्र मिला, लेकिन पूजा को वहाँ तक पहुँचने के लिए हर दिन बस से तीन घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी और उसके लिए उसे सुबह 3 बजे उठना पड़ता था. जो समय उन्हें अपनी ट्रेनिंग में लगाना था वो केवल ट्रेनिंग लेने के लिए आने-जाने पर ही ख़र्च हो रहा था.

हालांकि, लंबी दूरी ने अंततः उसे पास के एक अखाड़े में स्थानांतरित करने और लड़कों के साथ प्रशिक्षण शुरू करने के लिए मजबूर कर दिया. पूजा के लिए लड़कों के साथ कुश्ती करना आसान नहीं था और उन्हें सिंगलेट (कुश्ती के समय पहनी जाने वाली पोशाक) पहनने में शर्म आती थी. बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए उनका परिवार हरियाणा के रोहतक शहर चला गया.Pooja

उन्होंने 2016 में 48 किग्रा भार वर्ग में राष्ट्रीय जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप जीती. हालाँकि, उसी वर्ष, उसे एक चोट लग गई जिसने उसे कुश्ती से एक वर्ष से अधिक समय तक दूर रखा.

पूजा गहलावत को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में पहली सफलता तब मिली जब उन्होंने 2017 में ताइवान में एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. उसके लिए एक और बड़ी उपलब्धि 2019 में बुडापेस्ट, हंगरी में 51 किग्रा वर्ग में अंडर -23 विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतना था. वह उस स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली केवल दूसरी भारतीय महिला बनीं.

Pooja Gehlot CWG 2022 कुश्ती प्रतियोगिता के दूसरे और अंतिम दिन, भारत ने 6 स्वर्ण, 1 रजत और 5 कांस्य पदक जीतने के साथ कुल 12 पदक जीते। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में भारत के सभी पहलवानों ने कोई न कोई पदक जरूर जीता है। जिनमें से एक नाम पूजा गहलावत का भी है। पूजा 50 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थी. सेमीफाइनल में कनाडा की मैडिसन पार्क से हारने के बाद पूजा ने ब्रान्ज़ मेडल अपने नाम किया.

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