क्या है हसदेव अरण्य के जंगल, जिसमें 2 लाख पेड़ कटाई वाले प्रोजेक्ट को सरकार ने रोका

हालांकि इससे पहले राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ की चुनावी रैलियों में वादा किया था कि अगर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आती है तो अरण्य के जंगलों को काटने से रोका जाएगा।
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HASDEV ARNAY
बताया जाता है कि इस जंगल में बहुत अधिक संख्या और अलग-अलग प्रजातियों के हाथी पाए जाते हैं। यह देश का एक बेहद महत्वपूर्ण एलीफैंट कॉरिडोर भी है। यह देश के सबसे घने जंगलों में से भी एक है, जहां हाथी के अलावा कई अन्य तरह के जानवर रहते हैं।

चंडीगढ़: छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) में भूपेश बघेल(Bhupesh Baghel) की सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है। बीते वीरवार को सरकार ने हसदेव अरण्य जंगलों में खनन के अपने विवादित आर्डर पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार ने मौखिक रूप से खनन के फैसले को वापसी लिया है। बता दें कि कुछ दिन पहले सरकार में कैबिनेट मंत्री व लोकल विधायक टीएस सिंहदेव ने इस क्षेत्र का दौरा किया था। टीएस सिंहदेव ने खनन का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की मांग को जायज ठहराया था। हालांकि इससे पहले राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ की चुनावी रैलियों में वादा किया था कि अगर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आती है तो अरण्य के जंगलों को काटने से रोका जाएगा।

बताया जा रहा है कि सरकार ने हसदेव अरण्य में फिलहाल तीन क्षेत्रों परसा ईस्ट केतें बसान(पीईकेबी), परसा और केतें एक्सटेंशन में खनन की मंजूरी दी थी। लेकिन यहां के स्थानीय आदिवासियों ने पर्यावरण पर इसके व्यापक असर पड़ने का आरोप लगाते हुए विशाल विरोध प्रदर्शन खड़ा किया है। इस प्रोजेक्ट से हसदेव अरण्य में 2 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे।

मीडिया के मुताबिक सरगुजा के कलेक्टर संजीव झा ने बताया कि खनन से जुड़ी सभी विभागीय या आधिकारिक परिक्रियाओं को अगले आदेशों तक स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने आगे बताया,"पहले फेज के दौरान पीईकेबी (परसा ईस्ट एंड केते बासन कोयला खदान) में शुरु किए गए खनन कार्य चलते रहेंगे, क्योंकि यह 2013 से चल रहा है. हालांकि बाकी अन्य कार्यों पर रोक लगा दी गई है।"

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते 25 मार्च को पीईकेबी में खनन को मंजूरी प्रदान की थी। इस खनन के तहत 1 हज़ार 136 हेक्टेयर वन भूमि में फैले सभी पेड़ों को काटा जाएगा। इससे पहले 6 अप्रेल को भी 41.53 हेक्टेयर में फैले पेड़ों को काटने का आदेश जारी हुआ था।

क्या है हसदेव अरण्य

'छत्तीसगढ़ के फेफड़े' कहे जाने वाले हसदेव अरण्य जंगल का विस्तार प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र में तीन जिलों- कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर तक है। यहां कुल 23 कोयला खदाने हैं। साल 2009 में पर्यावरण मंत्रालय ने इस क्षेत्र को 'नो-गो' एरिया घोषित किया था। 'नो-गो' का मतलब है कि जंगल को किसी भी तरह से हानि पहुंचाने वाले कार्य यहां नहीं किए जाएंगे।

बताया जाता है कि इस जंगल में बहुत अधिक संख्या और अलग-अलग प्रजातियों के हाथी पाए जाते हैं। यह देश का एक बेहद महत्वपूर्ण एलीफैंट कॉरिडोर भी है। यह देश के सबसे घने जंगलों में से भी एक है, जहां हाथी के अलावा कई अन्य तरह के जानवर रहते हैं।

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