इस राज्य में 20 हजार प्रोफेसर्स को 1 अक्टूबर से मिलेगा सातवां वेतनमान

कॉलेज प्राध्यापकों की सैलरी में होगा 17 से 22 फीसदी का इजाफा
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यूजीसी की ओर से यह वेतनमान 2016 में लागू कर दिए गए थे। इस समय देश में केवल पंजाब ही ऐसा राज्य बचा था, जिसने अब तक यह वेतनमान अपनी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के शिक्षकों को नहीं दिए थे। 

चंडीगढ़ -  पंजाब सरकार द्वारा कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर शिक्षकों को सातवां वेतनमान 1 अक्तूबर 2022 से लागू किया जा रहा है यूजीसी की ओर से सातवां वेतनमान 2016 में लागू कर दिया गया था। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा है कि इस फैसले को लागू करने से सरकार पर सालाना 365 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।अब अगले महीने से नए वेतनमान लागू होने के बाद पिछले छह साल का एरियर भी सरकार को जारी करना होगा। असिस्टेंट प्रोफेसर के वेतन में 15 से 20 और प्रोफेसर के वेतन में 25 से 35 हजार तक बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा है। अब अगले महीने से नए वेतनमान लागू होने के बाद पिछले छह साल का एरियर भी सरकार को जारी करना होगा, जिसके बारे में वित्त विभाग का कहना है कि एरियर की राशि दो किस्तों में अदा करने पर विचार किया जा रहा है।

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सातवें वेतनमान के तहत प्राध्यापकों और सहायक प्राध्यापकों के वेतन में 17 से 22 फीसदी की बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। सातवां वेतनमान एक अक्टूबर 2022 से मिलने लगेगा। 2016 से सातवां वेतनमान लागू किए जाने को लेकर शिक्षकों द्वारा पंजाब सरकार के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन जारी थी।पंजाब में यूजीसी के सातवें वेतनमान लागू करने के एलान से सभी विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध कॉलेजों के करीब 15,500 से ज्यादा नियमित प्राध्यापकों को वेतन बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा। इस तरह वेतन में 5 से 10 हजार रुपये की बढ़ोतरी होगी। यह प्रस्ताव स्वीकार होते ही एरियर की पहली किस्त दिवाली तक शिक्षकों के खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

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 पंजाब कॉलेजों की एसोसिएशन पीफैक्टो ने पंजाब की सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के प्राध्यापकों के लिए अदालती लड़ाई भी लड़ी।  यूजीसी ने 2016 में ही सातवां वेतनमान लागू कर दिया था, लेकिन पंजाब सरकार इस मामले में पीछे रह गई। इसे लेकर प्रदेश का शिक्षक वर्ग सरकार के खिलाफ लगातार धरने-प्रदर्शन भी करता रहा।  बीते करीब दो वर्ष से पीफैक्टो ने पंजाब की यूनिवर्सिटी में यूजीसी के सातवें वेतनमान के लिए सैकड़ों बार रैलियां और धरने दिए। यूजीसी की ओर से यह वेतनमान 2016 में लागू कर दिए गए थे। इस समय देश में केवल पंजाब ही ऐसा राज्य बचा था, जिसने अब तक यह वेतनमान अपनी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के शिक्षकों को नहीं दिए थे।  
 

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