हरियाणा के गांव का लड़का पूरे देश में छाया, NATIONAL MSME Award 2022 में बेस्ट इंटरप्रेन्योर का अवार्ड जीता

संजीव कुमार रंगा(Sanjeev Kumar Ranga) को सर्विस माइक्रो ऐन्ट्रप्रेन्योरशिप(Service Micro Entrepreneurship) में एससी/एसटी श्रेणी में प्रथम स्थान व ओवर ऑल श्रेणी में दूसरा स्थान हासिल हुआ है
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पहला प्रोजेक्ट चंडीगढ़ से करीब 60 किलोमीटर दूर रोपड़(रूपनगर) में मिला. वे बाइक से जाकर साइट पर सर्वे करते थे और उनकी पत्नी ऑफिस मैनेज करती थीं. धीरे धीरे उनका बड़े-बड़े प्रोजेक्ट मिलने शुरू हो गए. संजीव ने बताया कि आज उनके पास रिलायंस, फिलिप्स, वर्धमान, ज़िन्दल इंडस्ट्रीज जैसी कम्पनियों के प्रोजेक्ट हैं.

हिसार - साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान जब बड़ी-बड़ी कम्पनियां अपना बिजनेस बंद कर रही थीं तब हरियाणा के एक छोटे से गांव देवगढ़ पूनियां के दो इंजीनियर पति-पत्नी चंडीगढ़ में सिविल इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी(Civil Engineering Consultancy) के बिजनेस को शुरू करने के सपने देख रहे थे. शुरुआत, किराए की सर्वे किट और एक बाइक से की और अब अपनी मेहनत और लगत की बदौलत सिर्फ़ देश के बेस्ट उधमियों में शामिल हैं. 

MSME Award 2022 में हिसार के देवगढ़ पूनिया के संजीव कुमार रंगा(Sanjeev Kumar Ranga) को सर्विस माइक्रो ऐन्ट्रप्रेन्योरशिप(Service Micro Entrepreneurship) में एससी/एसटी श्रेणी में प्रथम स्थान व ओवर ऑल श्रेणी में दूसरा स्थान हासिल हुआ है. 30 जून को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय एमएसएमई सम्मेलन(National MSME Conference) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने S&G एसोसिएटस के डायरेक्टर संजीव कुमार रंगा को सम्मानित किया. इस मौके पर The Ink की तरफ से संजीव कुमार रंगा को बधाई देते हुए खास बातचीत की गई. जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष व रास्ते में आई दिक्कतों को विस्तार से बताया.

सात पीढ़ियों तक कोई बिजेनस बैकग्राउंड नहीं

S&G Associates के डायरेक्टर संजीव कुमार रंगा ने बताया, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी बिजनेस करूंगा और प्रधानमंत्री खुद मुझे अवार्ड से नवाजेंगे." उन्होंने बताया कि उनका कोई बिजनेस बैकग्राउंड नहीं है और न ही उनके परिवार या रिश्तेदार ने कोई बिजनेस किया है. संजीव ने बताया कि उनके पिता बिजली विभाग में लाइनमैन के पद से रिटायर्ड हैं और माता गृहणी हैं. उनके परिवार में एक भाई और सात बहनें हैं 

मां ने पढ़ाई के लिए प्रेरित किया

संजीव ने बताया कि वे हिसार के एक छोटे से गांव देवगढ़ पुनियां से ताल्लुक रखते हैं जहां उन्होंने अपनी शुरुआत पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की. उन्होंने बताया कि वे 12वीं क्लास में 2 बार फेल होने के बाद तीसरे साल सिर्फ 42 फीसदी नम्बरों के साथ पास हुए थे. इसके बाद पढ़ाई से मन उठ गया था लेकिन मां ने पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. इसके बाद 2008 से 2012 के बीच महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एमटेक की। इसके बाद चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पढ़ना शुरू किया.

लाइफ पार्टनर के साथ साथ बिजनेस पार्टनर भी मिला

संजीव ने बताया कि 2013 से 2016 तक अस्सिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी की। जिस दौरान उनकी मुलाकात सिविल इंजीनियर गुरिंदर कौर से हुई. 29 दिसंबर 2017 में दोनों ने लव मैरिज की. उन्होंने बताया कि 2018 में जॉब के साथ-साथ अपनी सिविल इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी कंपनी S&G associates(Sanjeev & Gurinder Kaur) यानी संजीव व गुरिंदर एसोसिएट्स को MSME में रजिस्टर्ड करवाया. उन्होंने बताया कि उनका पत्नी लाइफ पार्टनर के साथ साथ मेरी बिजनेस पार्टनर भी हैं. 2020 आते आते संजीव ने जॉब छोड़ कर अपना फोकस कंसल्टेंसी बिजनेस पर किया और उनकी पत्नी यूनिवर्सिटी में जॉब करती रही.

लॉकडाउन में दोनों ने कंपनी को आगे बढ़ाया

संजीव ने बताया कि जिस दौरान पूरे देश मे लॉकडाउन लागू था, लोग शहरों को छोड़कर अपने गांव जा रहे थे, बड़ी बड़ी कंपनियां अपने बिजनेस को बंद कर रही थीं. तभी उन्होंने चंडीगढ़ में रहकर अपनी पत्नी के साथ कंपनी पर काम करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने बड़ी बड़ी कंपनियों को ई मेल के जरिये अपनी कंपनी के बारे में बताया. बातचीत में संजीव ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब हम कंपनियों से कॉन्टैक्ट कर रहे थे तो हमें नेगेटिव रिस्पांस भी मिलते थे लेकिन हमने हार नहीं मानी. 

एक बाइक से शुरू किया बिजनेस

संजीव ने बताया कि लॉकडाउन में ढील के बाद उनको काम मिलना शुरू हो गया था. बड़ी-बड़ी कम्पनियों के कर्मचारी जॉब छोड़ कर चले गए थे तब उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कॉन्ट्रैक्ट लेने शुरू किए. उन्होंने बताया कि उन्हें पहला प्रोजेक्ट चंडीगढ़ से करीब 60 किलोमीटर दूर रोपड़(रूपनगर) में मिला. वे बाइक से जाकर साइट पर सर्वे करते थे और उनकी पत्नी ऑफिस मैनेज करती थीं. धीरे धीरे उनका बड़े-बड़े प्रोजेक्ट मिलने शुरू हो गए. संजीव ने बताया कि आज उनके पास रिलायंस, फिलिप्स, वर्धमान, ज़िन्दल इंडस्ट्रीज जैसी कम्पनियों के प्रोजेक्ट हैं.

मेहनत रंग लाई

संजीव ने बताया कि हम दोनों हस्बैंड-वाइफ ने लॉकडाउन में हार नहीं मानी, हमने लिस्ट बनाई और कॉलिंग करते रहे. लॉकडाउन के खुलते ही हमे प्रोजेक्ट मिलना शुरू हो गया. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से पहले वे सिर्फ दो ही सर्विसेज, Structure design and survey दे पाते थे लेकिन लॉकडाउन में उन्होंने Soil Testing and Project Management Consultancy जैसी टेक्नोलॉजी को समझा और आगे बढ़ते रहे. संजीव ने बताया कि उनकी मेहनत के चलते उन्होंने हाल ही में पूरे भारत मे एयरफोर्स व नेवी के रनवे(Airforce And Navy Runway) के सर्वे करने का प्रोजेक्ट पूरा किया है जोकि उन्हें फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन(Dassault Aviation) से मिला है.

4 लाख से 5 करोड़ का टर्नओवर

संजीव ने बताया कि उन्होंने उनके पहले साल की टर्नओवर 4 लाख जोकि इस साल 5 करोड़ हो गई है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ काम करना शुरू किया था जिसके चलते आज उनके पास 25 सिविल इंजीनियर हैं जो पूरे देश में साइट्स पर सर्वे करने का काम करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपने भाई को भी अपने बिजनेस में शामिल कर लिया है.

उनका कहना है कि अगले एक साल में 50 इंजीनियर को जॉब देने का उनका लक्ष्य है और अपने बिजनेस के टर्नओवर को 5 करोड़ से 50 करोड़ तक लेकर जाना है. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी कनाडा में उनके प्रोजेक्ट के लिए काम कर रहीं है ताकि वे अपना बिजनेस इंटरनेशनल मार्किट तक लेकर जा सके.

आत्मविश्वास ही सब कुछ है

संजीव रंगा ने बताया कि जिंदगी में कामयाब होने के लिए आत्मविश्वास और निरंतरता जरूरी है. उनका कहना है कि मार्किट में बिजनेस का करने का तरीका बदल गया है उन्होंने कहा,"आपको क्लाइंट की प्रोब्लम पर फोकस करना पड़ेगा तभी क्लाइंट आपके पास दुबारा आएगा." संजीव का कहना है कि आपको मार्किट में बने रहने के लिए सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ तैयार रहना पड़ता है. उन्होंने अपनी पढ़ाई और जॉब के प्रैक्टिकल नॉलेज को साथ मिलाकर काम किया है जिससे वे इन मुक़ाम तक पहुंचे हैं. संजीव ने कहा," मेहनत और लगन से सब कुछ हासिल किया जा सकता है."

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