अमेरिका के जैसे स्पीकर ओम बिरला भी करे ताइवान का दौरा, चीन को कड़ा संदेश दें
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दिल्ली. लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने ट्विटर के माध्यम से स्पीकर बिरला को भेजे संदेश में कहा, 'स्पीकर @SpeakerPelosi की ताइवान यात्रा ऐतिहासिक है। जैसा कि राष्ट्रपति @JoeBiden ने शी जिनपिंग से कहा है कि संसद सरकार की एक शाखा के समान है। उसी तरह आपके नेतृत्व में एक भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को भी ताइवान की यात्रा पर विचार करना चाहिए।'
कांग्रेस नेता तिवारी ने यह भी लिखा कि यह न केवल स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का मसला नहीं है, बल्कि इससे एशिया प्रशांत क्षेत्र गरमा रहा है। अमेरिका के तीन विमान वाहक युद्धपोत-यूएसएस रोनाल्ड रीगन, यूएसएस त्रिपोली और यूएसएस अमेरिका भी ताइवान के आसपास के क्षेत्र में तैनात हैं। यह 1995 के बाद अमेरिका का सबसे गंभीर शक्ति प्रदर्शन है।
Speaker @SpeakerPelosi ‘s visit to Taiwan is historic . As President @JoeBiden told Xi Jing Ping Congress is a co equal branch of Govt similarly an Indian Parlimentary delegation led by Speaker @ombirlakota should also explore a visit to Taiwan@TWIndia2 https://t.co/HbbeH719m6
— Manish Tewari (@ManishTewari) August 3, 2022
कांग्रेस सांसद तिवारी ने कहा कि स्पीकर बिरला को भी एक संसदीय प्रतिनिधि मंडल लेकर ताइवान जाना चाहिए। तिवारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के इस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने अमेरिकी संसद को सरकार की एक शाखा निरुपित किया है। इसका मतलब है कि संसदीय दल की यात्रा पर सरकार का खास नियंत्रण नहीं रहता है।
अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से जहां चीन व अमेरिका के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है, वहीं, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इसे ऐतिहासिक बताया है। इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का अहम सुझाव दिया है।
उधर, चीन की धमकियों की परवाह किए बगैर अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार रात ताइवान पहुंच गई। बीते 25 सालों में किसी शीर्ष अमेरिकी अधिकारी की यह पहली ताइवान यात्रा है। इससे चीन और खफा हो गया है। उसने ताइवान में अपने कई लड़ाकू विमान भेज दिए हैं। इन विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में उड़ान भरकर अमेरिका व स्वायत्त द्वीप की सरकार को अपनी ताकत दिखाई है।
इसके बाद चीन व अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ गया है। बीजिंग का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वह 'वन चायना' पॉलिसी के तहत आता है। किसी विदेशी सरकारी अधिकारी की सीधी ताइवान यात्रा को वह अपने देश की संप्रुभता का उल्लंघन मानता है। चीन ने ताइवान पर नेचुरल सैंड यानी बालू के निर्यात पर पाबंदी समेत कई आर्थिक पाबंदियां लगा दी हैं।