जो चीजें बेचते हैं वो कपूत कहलाते हैं, मोदी सरकार की नई रेलवे लैंड पॉलिसी पर आप का वार!

सरकार ने रेलवे की जमीन की लीज अवधि को भी पांच साल से बढ़ाकर 35 साल कर दिया गया
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Sanjay singh
संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, “जो बाप दादा की संपत्ति बढ़ाते हैं वो “सपूत”कहलाते हैं और जो बेचते हैं वो “कपूत” कहलाते हैं। मोदी सरकार देश की 6.5 लाख करोड़ की संपत्ति बेच रही है। क्या देश बेचने वालों को “भारत माता की जय”लगाने का हक है।” संजय सिंह ने रेलवे की लैंड पॉलिसी में हुआ बदलाव पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला तो लोगों ने भी इस पर टिप्पणी की है।

दिल्ली। केंद्र सरकार ने रेलवे जमीन की लाइसेंस फीस 6 फीसदी से घटाकर 1.5 फीसदी करने का फैसला किया है. साथ ही रेलवे की जमीन की लीज अवधि भी पांच साल से बढ़ाकर 35 साल की गई। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी है. इस पर आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने तंज कसा है।

संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, 'बापदादा की दौलत बढ़ाने वाले को 'सपूत' और बेचने वालों को 'कपूत' कहा जाता है। मोदी सरकार देश की 6.5 लाख करोड़ की संपत्ति बेच रही है. क्या देश के विक्रेताओं को "भारत माता की जय" के नारे लगाने का अधिकार है? रेलवे की भूमि नीति में बदलाव को लेकर संजय सिंह ने जब केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला तो लोगों ने उस पर कमेंट भी किया.

अखिलेश यादव ने भी उठाया सवाल

बता दें कि रेलवे की जमीन को 35 साल के लिए पट्टे पर देने के फैसले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है. अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा था कि कैबिनेट ने रेलवे की भूमि नीति में संशोधन को मंजूरी देते हुए रेलवे की जमीन को पट्टे पर देने की अवधि 5 साल से बढ़ाकर 35 साल कर दी है. इसका सीधा फायदा बड़े उद्योगपतियों को ही मिलेगा। इसमें जनहित क्या है? रेलवे की जमीन को रेवाड़ी की तरह क्यों बांट रही है सरकार? 

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