मां का गला घोंटकर लिखा 77 पेज का सुसाइड नोट: मां को मारने के बाद मैंने उसका सिर गोद में रख लिया...

दिल्‍ली के रोहिणी में एक बेटे ने बाइक की केबल से मां का गला घोंट दिया,  हिला देगी 77 पेज की चिट्ठी
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दिल्‍ली के रोहिणी में एक बेटे ने बाइक की केबल से मां का गला घोंट दिया। चार दिन तक शव के साथ रहा। इस दौरान गंगाजल से उसका मुंह धोया और गीता का 18वां अध्‍याय पढ़ा। 77 पन्‍नों का स्‍यूसाइड नोट लिखा और अपनी जान दे दी।

नई दिल्ली - अवसाद के कारण समझिए और डिप्रेशन के लक्षण को इग्नोर न करिए। क्योंकि अंदर अंदर घुटन को खा जाने से बेहतर है अपनों से बातें सांझाा करना। क्योंकि कुछ न कह पाने से मन में द्वेष की भावना पैदा होती है । दक्षिण भारत ऐसी जगह है, जहां दुनिया में सबसे ज्यादा सुसाइड रेट है। ये बातें 2004 से 2014 के बीच की एक स्टडी से सामने आई है। आप ये सोच रहे होंगे कि हमने आपको  सुसाइड के बारें क्यों बताया? दरअसल, आज ‘वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे’ है। देश और दुनिया में सुसाइड की बढ़ती गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 50 साल में दुनिया भर में सुसाइड रेट 60% , जबकि भारत में 30 साल में 43% बढ़ा है। 

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एेसी ही यह वारदात है घर की चारदीवारी में घिरे अवसाद की। ‘क्षितिज' नाम था उसका। चारदीवारी के अंदर की हकीकत का पता उस 250 पेज के रजिस्टर से चलता है जो क्राइम सीन पर पुलिस को मिला। उस रजिस्टर के आखिरी 77 पेज में जो लिखा है, वह हत्या और आत्महत्या की खतरनाक कहानी है। 77 पेजों का यह सुसाइड नोट दिल्ली के 25 वर्षीय क्षितिज ने लिखा। बाद में उसने भी खुद का गला काटकर जान दे दी।

घटना 4 सितंबर 2022 की है। सुसाइड नोट में लिखा- दो साल से मैं मरना चाह रहा था। मरने से पहले मैं अपनी मां को दुख से आजाद करना चाहता हूं। मैंने बाइक की केबल से मां का गला घोंटा, ताकि मां को तकलीफ न हो…मां के शव को देख नहीं सकता। जैसे ही मैंने वायर कसा। मां 4 से 5 सेकंड में निढाल होकर गिर गईं।... मुझे पता था दिमाग में ऑक्सिजन नहीं पहुंचने पर मौत हो जाती है।’ उनके चेहरे को गंगाजल से नहलाया है…मां की मौत को 71 घंटे हो चुके हैं। अब मेरी सुसाइड करने की बारी है 

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मेरी अच्छी परवरिश के लिए मां ने सिलाई भी की। दसवीं में था। पिता की मौत हो गई। बीमारियां मेरे अंदर भरती जा रही हैं। मां कई बार टोकती थीं। मां हाई बीपी से परेशान रहती हैं। मेरे पापा बहुत बहादुर थे। मैं अपने माता पिता के यहां 14 साल बाद जन्मा था। इकलौता बेटा था। दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसओएल में एडमिशन लिया। लेकिन किस्मत धोखा दे गई, दो बार फिसल गया। डिप्रेशन रहता है। एक रात, दो रात, तीन रात, पांच रात तक जगा रहा हूं। नींद नहीं आती। कई बार बेहोश सा पड़ा रहता हूं। मां बताती थीं जब मैं छोटा था, पापा गोद में लेकर अस्पताल गए। 

 मैं मां के शव को देखा नहीं जा रहा। उनके पास बैठकर भगवत गीता का 18वां अध्याय पढ़ा। मैंने अपनी मां के चेहरे को गंगाजल से नहलाया है। पूरी भगवत गीता नहीं पढ़ सका हूं, मैंने भगवत गीता को मां के सीने पर रख दिया है।’आज बाजार गया हूं। दो दुकानदार से इलेक्ट्रिक कटर मांगा। दोनों ने ब्लेड नहीं दिए। पता नहीं क्यों मेरे से अजीब सवाल जवाब करने लगे, कि किस काम के लिए ब्लेड चाहिए।‘अब बारी थी मेरे सुसाइड करने की। पहले मैंने पिस्टल खरीदने की कोशिश की। नहीं मिली। फिर इलेक्ट्रिक कटर का विचार आया है।  रात को घर लौटा था। मां के शव के पास खूब रोया हूं। पापा होते तो क्या होता।’



 

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