एक आइडिया जो बदल दें आपकी जिंदगी : वीडियो से ताइवानी पपीते की खेती सीख 8वीं पास मजदूर कमा रहा लाखों रुपये

25 रुपये  के पौधे ने जालोर  के भावाराम को बना दिया मालामाल 
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एक आइडिया जो बदल दें आपकी  जिंदगी : वीडियो से ताइवानी पपीते की खेती सीख आठवीं मजदूर कमा रहा लाखों रुपये
वीडियो के जरिए उन्हें पपीते की ताइवानी रेडलेडी किस्म की खेती के बारे में पता चला। यूट्‌यूब पर ताइवानी रेडलेडी किस्म के कुछ और वीडियो देखे तो पता चला- ये सबसे कम लागत में सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती है। यह किस्म पपीते की टॉप थ्री वैरायटी में आती है।

जालोर- ताइवान का पपीता इन दिनों किसानों की किस्मत चमका रहा है। क्षेत्र में कई किसानों की ओर से पपीता की इस किस्म की बुवाई के बाद दूसरे किसान भी रुचि दिखाने लगे हैं। इसी का एक उदाहरण है आठवीं  पास भावाराम। पालड़ी गांव के रहने वाले भावाराम गुजरात के अहमदाबाद में मजदूरी करते थे। हाड़ तोड़ मेहनत करते, लेकिन मजदूरी में जरूरत से कम ही रुपए मिलते।

गुजरात में पता किया तो जानकारी मिली कि यहां ताइवान किस्म के पपीते मिलते हैं। भावाराम ने तय कर लिया- चाहे कुछ हो जाए, अब तो ताइवानी पपीते की खेती ही करनी है। गांव लौट आए और 25 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से 2500 पौधे मंगवाए।

दरअसल, आठवीं पास भावाराम ने यूट्यूब  पर पपीते की खेती कैसे की जा है इसकी वीडियो देखी और पपीते की खेती करने का विचार आया । और इसी एक आइडिया ने भावाराम की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। और तभी उन्हें मिल गया जिंदगी बदलने वाला आइडिया। वीडियो के जरिए उन्हें पपीते की ताइवानी रेडलेडी किस्म की खेती के बारे में पता चला। यूट्‌यूब पर ताइवानी रेडलेडी किस्म के कुछ और वीडियो देखे तो पता चला- ये सबसे कम लागत में सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती है। यह किस्म पपीते की टॉप थ्री वैरायटी में आती है।

गुजरात में पता किया तो जानकारी मिली कि यहां ताइवान किस्म के पपीते मिलते हैं। भावाराम ने तय कर लिया- चाहे कुछ हो जाए, अब तो ताइवानी पपीते की खेती ही करनी है। गांव लौट आए और 25 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से 2500 पौधे मंगवाए।भावाराम खुद मानते हैं कि पपीते की खेती के बाद उनकी किस्मत पूरी तरह से बदल गई। 25 रुपए के पौधे ने उन्हें मालामाल बना दिया। उन्होंने 62500 रुपए में 2500 पौधे खरीदे थे। अब वे आस-पास के किसानों को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं। इतना ही नहीं वे इससे पहले बाजरा, गेहूं और मूंगफली समेत अन्य फसलों की खेती कर महज 7 लाख रुपए कमा पा रहे थे।


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किसान ने बताया कि जब पपीते को मंडी में बेचने के लिए कॉन्टैक्ट किया तो अच्छे भाव नहीं मिले, जबकि उन्हें पता था कि वे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस पर उन्होंने घर के आस-पास ही इसे बेचना शुरू किया। उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर-ट्रॉली में पपीते भरकर वे सड़क किनारे खड़े हो जाते। जब लोगों को इसका टेस्ट पसंद आने लगा तो एक दिन में 5 क्विंटल पपीते बेच दिए। अब जालोर जिले में यह पपीते ‘भावाराम के पपीते’ के नाम से बिकते हैं।

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ऐसे में कृषि विज्ञान केन्द्र में पपीता लेने के लिए प्रतिदिन कई किसान पहुंच रहे हैं।  यहां सिरोही के अलावा जालोर, नागौर, जोधपुर व पाली जिले के किसान भी पपीता के पौधे लेने पहुंच रहे हैं। किसानों की डिमांड को देखते हुए केवीके की ओर से करीब 10 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। किसानों की डिमांड को देखते हुए ताइवान का पपीता की रेड-लेडी किस्म के पौधे तैयार किए गए हैं। ये कम मेहनत व लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली खेती है।


जून-जुलाई 2021 में अपनी 2.35 हेक्टेयर जमीन पर पपीते की ताइवान रेडलेडी किस्म की खेती की शुरुआत की। ड्रिप सिस्टम और ऑर्गेनिक खाद की सहायता से इन्हें तैयार किया। महज 6 महीने में प्रोडक्शन शुरू हो गया। एक साल में भावाराम की किस्मत बदल गई। अब तक वे 1 करोड़ रुपए के पपीते बेच चुके हैं।

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