फूलन देवी की पुण्यतिथि पर ही फूलन का अपहरण करने वाले छिद्दा सिंह की मौत: 24 साल बाद आया था पकड़ में

औरैया-1980 के दशक में फूलन देवी का अपहरण कर उसे लालाराम गैंग में छोड़ने का सहयोगी अपहर्ता छिद्दा सिंह ही था। वह बाबा ब्रजमोहन दास बनकर चित्रकूट में रह रहा था। उसने ब्रजमोहन दास के नाम पर आधार और पैनकार्ड सब बनवा लिया था। चित्रकूट में रहते हुए उसे सांस की बीमारी हो गई। बीते माह 25 जून को उसकी हालत बिगड़ी तो उसने अपने सहयोगी महंत से अपनी मातृभूमि गांव भसौन जाने की इच्छा जताई। जब वह लोग उसे औरैया लाए तो पुलिस को सुचना मिल गई और पुलिस ने 26 जून को उसे धर दबोचा। इसके बाद उसे इटावा जेल भेज दिया गया।
2015 के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस उसे भूल सी गई थी। बीहड़ में डकैत खत्म ही हो गए थे तो सबके साथ छिद्दा की फाइल में भी धूल जमने लगी। तब से न पुलिस ने इनाम बढ़ाया न पकड़ने की कोशिस की। छिद्दा सिंह चित्रकूट के सतना एमपी में जानकी कुंड के पास आराधना आश्रम में महंत हो गया था। 25 जुलाई को वह 69 साल की उम्र में पकड़ा गया। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। इटावा जेल अस्पताल में उसका उपचार चल रहा था। हालत बिगड़ने पर उसे सैफई के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया। जहां पर छिद्दा सिंह ने25 जुलाई सोमवार की देर शाम दम तोड़ दिया।
जहां उसकी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। ग्रामीणों के मुताबिक बीते 22 जुलाई को उसे सैफई आर्युविज्ञान विश्वविद्यालय में एडमिट कराया गया था।फूलन देवी के अपहरण में शामिल लालाराम गैंग का सदस्य 50 हजार का इनामी रहा छिद्दा सिंह की सोमवार को सैफई के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में मौत हो गई। यह एक संयोग है कि उसकी मौत फूलन देवी की पुण्यतिथि पर ही हुई। फूलन की पुण्यतिथि 25 जुलाई को होती है। लालाराम की मौत के बाद छिद्दा सिंह चित्रकूट में साधु का वेष धरकर नाम बदलकर 24 साल तक रहा। जब वह बीमारी से पीड़ित हुआ तब उसे घर की याद आई और घर आने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। यह अजब संयोग ही है कि छिद्दा सिंह जिस फूलन के अपहरण में शामिल था। उसी फूलन देवी की पुण्यतिथि के दिन ही छिद्दा की मौत हुई है। इसी कांड के बाद से ही फूलन ने 21 लोगों को बेहमई में लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था।
छिद्दा पुलिस की नजर में तब चढ़ा जब उससे 1998 में पुलिस ने मुठभेड़ कर उससे चार अपहर्ता मुक्त करा लिए। इससे पहले छिद्दा के ऊपर कई मुकदमें आस पास जिलो में दर्ज थे। लालाराम के मरने के बाद छिद्दा को पुलिस नहीं पकड़ सकी। छिद्दा ने बाबा का भेष बनाया औऱ ब्रजमोहन दास बनकर चित्रकूट के सतना में रहने लगा। यहां उसने आधार कार्ड, राशन कार्ड और पैन कार्ड सब ब्रजमोहन दास के नाम पर बनवा लिए थे। काफी तलाश के बाद भी जब पुलिस छिद्दा को खोज नहीं पाई तो 2015 में उस पर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया। फिर भी पुलिस छिद्दा तक नहीं पहुंच सकी।