पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीपी मलिक बोले- कारगिल युद्ध के समय आधुनिक हथियार नहीं थे, अब सेना हुई हाईटेक

पंचकूला- वीपी मलिक ने बताया कि युद्ध के समय भारतीय इंटेलिजेंस दुरुस्त नहीं थी और सर्विलांस का सही सिस्टम मौजूद नहीं था। पाकिस्तान के हमले के बाद भारतीय सेना को संगठित होने और कारगर कदम उठाने में कुछ समय लगा। बावजूद इसके युद्धभूमि में एक के बाद एक मिलने वाली विजय और सफल राजनीतिक-सैन्य रणनीति के दम पर न सिर्फ भारत ने यह जंग जीती बल्कि दुनिया में एक जिम्मेदार देश के रूप में अपनी छवि भी मजबूत की।
एक ऐसा देश जो लोकतांत्रिक है और अपनी सीमाओं की रक्षा भी कर सकता है।कारगिल युद्ध के समय से अब देश की सेना आधुनिक हो गई है। वर्तमान में सेना आधुनिक हथियारों से लैस है। वहीं संचार की सुविधा भी अच्छी हो गई हैं। कारगिल दिवस के मौके पर तत्कालीन भारतीय सेनाध्यक्ष रहे वीपी मलिक ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान हमारे पास आधुनिक हथियार नहीं थे। सेना ने सरकार से मांग की लेकिन उस समय हमें बजट नहीं दिया गया। इस कारण हथियार नहीं खरीदे जा सके।
पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीपी मलिक के मुताबिक कारगिल से कुछ साल पहले सेना के पास धन की कमी थी। इसकी वजह से सेना अपने तय बजट से सिर्फ 70 फीसदी में काम कर रही थी। कारगिल में ऊंची चढ़ाई के लिए हमारे पास न सही जूते थे और न कपड़े। हमारे पास रडार और सर्विलांस के उपकरण भी नहीं थे जिससे हम देख पाएं कि पाकिस्तानी खेमे में क्या चल रहा है। हमें इसके लिए हेलीकॉप्टर्स की मदद लेनी पड़ती थी लेकिन उसके लिए हेलीकॉप्टर्स को 20 हजार फीट की ऊंचाई तक जाना पड़ता था। आज हमारे पास सेटेलाइट तस्वीरें हैं। सेना को आधुनिक बनाने के साथ हथियार खरीदे जाने का बजट बढ़ाना और प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हथियार खरीदे जाने का बजट भी बढ़ाया गया है और इसकी प्रक्रिया भी सही है। जल, थल और वायुसेना अब बेहद सशक्त हो गई हैं। यह देश के लिए अच्छी बात है। उन्होंने अपनी यादों को साझा करते हुए कहा कि 23 साल में सेना आत्मनिर्भर बनी है। जवानों को बातचीत के लिए भी सुविधाएं बढ़ा दी गई हैं। भारत आत्मनिर्भर बना है। यह बहुत ही सुखद है। युद्ध के समय हम आत्मनिर्भर नहीं थे, विदेश से हथियारों की मांग की गई तो वह भी समय पर नहीं मिले। इसके बावजूद हमारे रणबांकुरों ने जज्बा, जोश और बेहतर तालमेल के साथ युद्ध में जीत हासिल की।