यहां सफाईकर्मियों की है बल्ले-बल्ले, 1 करोड़ है सालाना पैकेज

भारत मे सफाईकर्मी 300 रुपये दिहाड़ी के लिए जान जोखिम में डाल कर सैप्टिक टैंक में सफाई के लिए उतर जाते हैं
 | 
ss
बीते 22 मार्च को संसद में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने बताया था कि बीते पांच सालों में सीवर व सैप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 325 सफाईकर्मियों की मौत हुई है.

चंडीगढ़ - एक तरफ भारत मे सफाईकर्मी 300 रुपये दिहाड़ी के लिए जान जोखिम में डाल कर सैप्टिक टैंक में सफाई के लिए उतर जाते हैं. वहीं दुनिया का एक ऐसा भी देश है जहां सफाईकर्मीयों की इतनी डिमांड है कि उनकी सैलरी किसी भारतीय डॉक्टर या इंजीनियर से कहीं ज्यादा है. दरअसल ये देश ऑस्ट्रेलिया है, जहां सफाईकर्मियों की भारी कमी है. इसी के चलते यहां की कंपनियां सफाई कमर्चारियों की सैलरी को घटें के हिसाब से बढ़ा रही हैं. ऐसे में उनका सालाना पैकेज 1 करोड़ तक पहुंच रहा है.

rd

खबरों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में सफाईकर्मियों की कमी के चलते कई कंपनियों ने कर्मचारियों का वेतन प्रति घंटे के हिसाब से इतना बढ़ा दिया है कि, इन्हें अब हर महीने करीब 8 लाख रुपये सैलरी मिल रही है. हैरानी की बात तो ये है कि इतना वेतन होने के बावजूद यहां पर कंपनियों को सफाई के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं. वैसे तो ऑस्ट्रेलिया में  सफाईकर्मियों का सालाना सैलरी पैकेज करीब 72 लाख रुपये से 80 लाख रुपये तक है. लेकिन काम के लिए आदमी नहीं मिलने के कारण कई कंपनियां इसे 98 लाख तक भी बढ़ाने को तैयार हैं.

as

ऑस्ट्रेलियन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिडनी में मौजूद क्लीनिंग कंपनी एब्सोल्यूट डोमेस्टिक(Abosulut Domestic) की मैनेजिंग डायरेक्टर जोए वेस ने कहा, "कर्मचारियों की सैलरी बढ़ानी पड़ रही है, क्योंकि सफाई के लिए लोग ही नहीं मिल रहे. अब क्लीनिंग डिपार्टमेंट की सैलरी बढ़ाकर 45 डॉलर यानि 3600 रुपये/घंटा कर दी गई है". उन्होंने बताया कि साल 2021 से ही देश में सफाईकर्मियों की कमी चल रही है. साल भर पहले इन सफाई कर्मचारियों को 2700 रुपये प्रति घंटा मिलता था, जबकि कंपनियां अब इनकी सैलरी बढ़ा कर 3500-3600 रुपये तक करने को तैयार हैं.

ee

बताया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया की अन्य कंपनियों का भी यही हाल ऐसा है. 3000 रुपये से 4700 रुपये प्रति घंटा यानी 98 लाख रुपये के सालाना पैकेज का ऑफर देने के बावजूद कुछ कंपनियां को कमर्चारी नहीं मिल रहे हैं. वहीं खिड़कियां और गटर साफ करने के लिए कर्मचारियों को 82 लाख रुपये सालाना तक का पैकेज ऑफर किया जा रहा है. 

india

आखिर में बताते चले कि भारत मे सफाई ठेकेदार द्वारा 300 रुपये प्रतिदिन देने पर कर्मचारी बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के जहरीली गैस से भरे सैप्टिक टैंक यानी सीवर में उतर जाते हैं. जहां वे दम घुटने से अपनी जिंदगी खो बैठते हैं. सरकार न ही कोई मुआवजा देती है न ही ठेकेदारों या प्रशासन पर कोई जवाबदेही तय होती है. बीते 22 मार्च को संसद में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने बताया था कि बीते पांच सालों में सीवर व सैप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 325 सफाईकर्मियों की मौत हुई है.

Latest News

Featured

Around The Web